ङः हराम (वर्जित कर्म) अर्थात ऐसा कार्य जिसकी अनुमति न हो, जिसको करने की स्पष्ट मनाही हो।
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आधुनिकता की ओर अग्रसर हमारे भारतीय समाज में आज मनुष्य द्वारा की जाने वाली कुछ क्रियाएं ऐसी हैं जिन्हें सामाजिक रूप से वर्जित कर्म की श्रेणी में रखा जाता है.
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लेकिन आज भी कुछ गतिविधियां ऐसी हैं जिन्हें सामाजिक रूप से वर्जित कर्म की श्रेणी में रखा जाता है और जिनके बारे में बात करना तक सार्वजनिक रूप से निषेधात्मक समझा गया है.
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नैतिकता और संस्कार के सवाल उठने लगते हैं. भारत में तो सेक्स एक बड़ा वर्जित शब्द ही नहीं एक वर्जित कर्म भी है.कुछ वर्जना तो प्रकृति प्रदत्त है-जैवीय सृजन की गतिविधि किसी भी भांति&
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(ब) प्रायश्चित कर्म:-जो विहित कर्म न करने अथवा विधिविरुद्ध के करने या वर्जित कर्म करने से अन्त: करण पर मलिन संस्कार पड जाते है, उनके धोने के लिये किये जायें।
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यहां यह बात उल्लेखनीय है कि जिस शब्दावली को आज भी लोग वर्जित कर्म की सूची में रखते हैं वहीं भारतीय महर्षि वात्स्यायन (Maharshi Vatsyaayan) ने अपनी कृति “ कामसूत्र ” (Kamsutra) में उसका विस्तृत उल्लेख सदियों पहले ही कर दिया था.
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भले ही आधुनिक होता भारतीय समाज आज कुछ मसलों में अपनी संकुचित मानसिकता को त्याग रहा हो, लेकिन आज भी कुछ विषय ऐसे हैं जिन्हें सामाजिक तौर पर पूर्णत: वर्जित कर्म माना जाता है और जिनके बारे में बात करना तक अनैतिक और संस्कारों के विरुद्ध माना जाता है।
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अतः उसकी उद्दंड प्रकृति को आज्ञापालन पर बाध्य करने के लिए ऐसे क़ानून की आवश्यकता है जिसमें आदेश देने के साथ यह भी हो कि यदि आदेश का पालन न किया गया तो उसका दंड क्या है और वर्जित करने के साथ यह भी हो कि यदि वर्जित कर्म से बचा न गया तो उसका परिणाम क्या भुगतना पड़ेगा।
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अतः उसकी उद्दंड प्रकृति को आज्ञापालन पर बाध्य करने के लिए ऐसे क़ानून की आवश्यकता है जिसमें आदेश देने के साथ यह भी हो कि यदि आदेश का पालन न किया गया तो उसका दंड क्या है और वर्जित करने के साथ यह भी हो कि यदि वर्जित कर्म से बचा न गया तो उसका परिणाम क्या भुगतना पड़ेगा।